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विभवमापी किसे कहते हैं

विभवमापी किसे कहते हैं!

 विभवमापी का सिद्धान्त

इसमें मुख्यतः एक लम्बा व एकसमान व्यासहो का धातु का प्रतिरोध - तार AB होता है । इसका एक सिरा A एक संचायक - बैटरी के धन - ध्रुव से जुड़ा होता है । केबैटरी का ऋण - ध्रुव एक कुंजी ( K ) तथा एक धारा नियन्त्रक ( Rh ) के द्वारा तार के दूसरे सिरे 8 से जोड़ दिया जाता है । धारा नियन्त्रक के द्वारा तार AB में धारा को घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है । E एक सेल है जिसका विद्युत वाहक बल नापना है । इसका धन - ध्रुव तार के A सिरे से जुड़ा होता है तथा ऋण - ध्रुव एक धारामापी G के द्वारा जौकी / से जुड़ा होता है जो तार पर खिसकाकर कहीं भी स्पर्श करायी जा सकती है । बैटरी से वैद्युत धारा तार के सिरे A से सिरे B की ओर को बहती है । अत : A से B की ओर तार के प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत - विभव गिरता जाता है । तार की प्रति एकांक लम्बाई में विभव - पतन को विभव - प्रवणता कहते हैं तथा इसे K से प्रदर्शित करते हैं ।  

माना जौकी को J पर स्पर्श कराते हैं , जबकि A और J , के बीच विभवान्तर , सेल E के वि ० वा ० बल से कम है । चूंकि बिन्दु A का विभव से ऊँचा है ; अतः बैटरी B की धारा AEJ मार्ग से धारामापी में प्रवाहित होगी । परन्तु सेल E का धन - ध्रुव , बिन्दु A से जुड़ा है ; अतः सेल की धारा AJLE मार्ग से धारामापी में प्रवाहित होगी । स्पष्ट है कि ये दोनों धाराएँ परस्पर विपरीत दिशाओं में हैं । परन्तु चूँकि सेल का वि ० वा ० बल बैटरी के कारण उत्पन्न A व ) , के बीच विभवान्तर से अधिक है ; अतः सेल की धारा की प्रधानता होगी । इस प्रकार AJLE की दिशा में प्रवाहित एक परिणामी धारा के कारण धारामापी की सूई एक ओर विक्षेपित हो जाएगी । इसके विपरीत यदि जौकी को J2 पर स्पर्श कराते हैं , जबकि A व J2 के बीच विभवान्तर , सेल E के वि ० वा ० बल से अधिक हो , तो बैटरी B , की धारा की प्रधानता होगी । इस दशा में धारामापी में एक परिणामी धारा AEJ , दिशा में प्रवाहित होगी और धारामापी की सूई पहले से विपरीत दिशा में विक्षेपित हो जाएगी । स्पष्ट है कि जौकी की दोनों स्थितियों J व J2 के मध्य में एक ऐसा बिन्दु होगा , जहाँ पर जौकी को स्पर्श कराने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होगा । यह शून्य विक्षेप की स्थिति होगी और ऐसी स्थिति में A व J के मध्य विभवान्तर , सेल के वि ० वा ० बल के बराबर होगा । माना तार में बहने वाली धारा का मान / है तथा तार की 1 सेमी लम्बाई का प्रतिरोध p है , तब विभव - प्रवणता K = ip यदि तार के भाग AJ की लम्बाई । सेमी हो तथा बिन्दु A व J के बीच विभवान्तर V हो , तो V = KI शून्य विक्षेप स्थिति में , विभवान्तर V सेल के विद्युत वाहक बल E के बराबर होता है । अतः E = KI जाती है और शून्य विक्षेप की विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ाने के लिए विभवमापी के तार की लम्बाई बढ़ा स्थिति की दूरी ( / ) अधिक लम्बाई पर आती है । दी जाती है जिस कारण विभव - प्रवणता कम हो

 वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी की श्रेष्ठता

वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी श्रेष्ठता 1. जब हम सेल का वि ० वा ० बल विभवमापी से नापते हैं तो शून्य- विक्षेप स्थिति में सेल के परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती ; अर्थात् सेल खुले परिपथ पर होती है । अतः इस स्थिति में सेल के वि ० वा ० बल का वास्तविक मान प्राप्त होता है । इस प्रकार विभवमापी अनन्त प्रतिरोध के आदर्श वोल्टमीटर के समतुल्य है । 2. वोल्टमीटर द्वारा वि ० वा ० बल नापने के लिए वोल्टमीटर में विक्षेप पढ़ना पड़ता है । विक्षेप के पढ़ने में त्रुटि रह सकती है । इसके विपरीत विभवमापी द्वारा वि ० वा ० बल अविक्षेप ( null ) विधि से नापा जाता है । इसमें तार पर शून्य - विक्षेप स्थिति को पढ़ना होता है । शून्य - विक्षेप स्थिति में पढ़ने में अधिक - से - अधिक 1 मिमी की त्रुटि हो सकती है , जो नगण्य है ।