Analog Communication - AM Demodulators in hindi

 AM (एम्पलीट्यूड मॉड्युलेशन) तरंगों की डेमोडुलेशन, संचार प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह मूल संदेश सिग्नल को पुनः प्राप्त करता है जो एक कैरियर तरंग पर मॉड्युलेट किया गया था। डेमोडुलेशन तकनीकों को समझने से पहले, चलो एम मॉडुलेशन की मूल बातें समझते हैं।

एम मॉडुलेशन में, एक उच्च आवृत्ति के कैरियर तरंग की चाल को संदेश सिग्नल के लगभग कांतिक आवर्त में बदल दिया जाता है। यह मॉड्युलेशन प्रक्रिया प्रभावी ढंग से संदेश सिग्नल को कैरियर तरंग पर समाहित करती है, जिसे हवा या केबल जैसे माध्यम के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है।

जब एक एम तरंग प्राप्त होती है, तो उसमें मूल कैरियर तरंग और मॉड्युलेटेड संदेश सिग्नल शामिल होता है। डेमोडुलेशन को मूल संदेश सिग्नल को पुनः प्राप्त करने के लिए किया जाता है, यानी इसे आगे के प्रोसेसिंग या प्लेबैक के लिए उपयोग किया जा सकता है।

डेमोडुलेशन का मुख्य उद्देश्य संदेश सिग्नल को कैरियर तरंग से अलग करना होता है। कई डेमोडुलेशन तकनीकें हैं, प्रत्येक का अपना लाभ और अनुप्रयोग होता है। उनमें शामिल हैं:

  1. एनवेलोप डिटेक्शन: यह तकनीक सरल है और कम लागत वाले रिसीवर में उपयोग की जाती है। इसमें मॉड्युलेटेड सिग्नल को सीधा किया जाता है ताकि नकारात्मक आयाम कॉम्पोनेंट को हटा दिया जाए, और फिर लो-पास फिल्टरिंग द्वारा एनवेलोप को निकाला जाता है, जो मूल संदेश सिग्नल को प्रतिनिधित करता है।

  2. सिंक्रोनस डिटेक्शन (सह संविलिनी डिटेक्शन): यह तकनीक कैरियर तरंग के आवृत्ति और चरण के साथ समकालीन होने की आवश्यकता होती है। एक स्थानीय ऑसिलेटर सिग्नल के साथ प्राप्त सिग्नल को गुणाकार करके मूल संदेश सिग्नल पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

  3. प्रोडक्ट डिटेक्शन (गुणन विधि): इसे सिंक्रोनाइजेशन की बजाय सम्पूर्ण संघनितता की आवश्यकता नहीं होती। प्राप्त सिग्नल को कैरियर आवृत्ति के बजाय कुछ करीबी आवृत्ति के स्थानीय ऑसिलेटर सिग्नल से गुणा किया जाता है, जिससे मूल संदेश सिग्नल प्राप्त होता है।

  4. पीएएम (पल्स एम्प्लीट्यूड मॉड्युलेशन) डेमोडुलेशन: इस तकनीक में, मॉड्युलेटेड सिग्नल को विशिष्ट अंतरालों पर नमूना लेकर मूल संदेश सिग्नल को पुनः निर्मित किया जाता है।

उपयुक्त डेमोडुलेशन तकनीक का चयन करना कार्यात्मकता, कठिनाई, शोर प्रतिरोध, और संचार प्रणाली की विशेष आवश्यकताओं के आधार पर निर्भर करता है।

Square Law Detector the equation in hindi


वर्ग नियम संवेदक" कहा जा सकता है। यह एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जिसका उपयोग सिग्नल की तीव्रता का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिसमें आउटपुट सिग्नल की शक्ति इनपुट सिग्नल के वर्ग के समानुपाती होती है।

यह प्रमुख रूप से रेडियो आवृत्ति सिग्नल्स की माप और विश्लेषण में उपयोगी होता है। जैसे-जैसे इनपुट सिग्नल की ताकत बढ़ती है, आउटपुट सिग्नल की ताकत उसके वर्ग के अनुपात में बढ़ती है। यह विशेषता इसे अमूर्त सिग्नल का पता लगाने में विशेष रूप से उपयोगी बनाती है, जहाँ सिग्नल की शक्ति की सटीक माप आवश्यक होती है।

वर्ग नियम संवेदक का उपयोग मुख्य रूप से वायरलेस संचार, रडार सिस्टम, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक परीक्षण और मापन उपकरणों में किया जाता है।

सिग्नल के डिटेक्शन के लिए किया जाता है। इसलिए इसे कभी-कभी सूक्ष्म सिग्नल डिटेक्शन) भी कहा जाता है जिसे चित्र में दर्शाया गया है। हम जानते हैं कि सूक्ष्म सिग्नल के लिए डायोड की कैरेक्टरस्टिक नॉन-लीनियर होती है त इनपुट के स्क्वायर के समानुपाती होता है।

यदि डायोड पर इनपुट वोल्टेज v₁ (t) एवं आउटपुट वोल्टेज v₁(t) हो तो डायोड से प्राप् समीकरण निम्न होगा-

𝑉1(𝑡)=𝐴𝑐[1+𝑘𝑎𝑚(𝑡)]cos(2𝜋𝑓𝑐𝑡)

We know that the mathematical relationship between the input and the output of square law device is

𝑉2(𝑡)=𝑘1𝑉1(𝑡)+𝑘2𝑉12(𝑡)

Where,

𝑉1(𝑡) is the input of the square law device, which is nothing but the AM wave

𝑉2(𝑡) is the output of the square law device

𝑘1 and 𝑘2 are constants

Substitute 𝑉1(𝑡) in Equation 1







उपरोक्त समीकरण में, शब्द

𝑘2𝐴𝑐2𝑘𝑎𝑚(𝑡)

मॉडुलेटिंग सिग्नल को प्रदर्शित करता है अतः डायोड से प्राप्त आउटपुट को लो-पास फिल्टर (low-pass filter) से पास किया जाता है जो उच्च फ्रीक्वेंसी सिग्नल को ब्लॉक (block) कर देता है तथा निम्न फ्रीक्वेंसी के desired signal को पास कर देता है।


स्क्वायर लॉ डिटैक्टर की लिमिटेशन (Limitation of Square Law Detector)


स्क्वायर लॉ डिटेक्टर से बिना डिस्टॉर्शन के डिमॉडुलेशन तभी प्राप्त होगा यदि एम्प्लीट्यूड मॉडुलेटैंड वेव (AM wave) सूक्ष्म एवं कमजोर (small and weak) हो क्योंकि डायोड की कैरेक्टरस्टिक सूक्ष्म सिग्नल के लिए हो। नॉन-लीनियर होती है।


Envelope Detector



एनवेलप डिटेक्टर को हिंदी में "आवरण संवेदक" कहा जा सकता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग सिग्नल के आवरण या बाहरी आकृति (envelope) को पहचानने के लिए किया जाता है। आमतौर पर यह उपकरण एम्यूडियो सिग्नल्स या मॉड्यूलेटेड रेडियो सिग्नल्स के आवरण को पता लगाने में उपयोगी होता है।

कार्यप्रणाली:

आवरण संवेदक मुख्य रूप से दो चरणों में काम करता है:

  1. डायोड द्वारा आयामन: एक डायोड का उपयोग करके सिग्नल के नकारात्मक भाग को हटा दिया जाता है, जिससे केवल सकारात्मक भाग ही शेष रहता है।
  2. स्मूथिंग फिल्टर: इसके बाद एक स्मूथिंग फिल्टर (जैसे कैपेसिटर) का उपयोग करके सिग्नल को चिकना किया जाता है, जिससे आवरण का रूप और स्पष्ट हो जाता है।

उपयोग:

आवरण संवेदक विशेष रूप से रेडियो प्रसारण, दूरसंचार, और ऑडियो सिग्नल प्रोसेसिंग में उपयोगी होते हैं। यह उपकरण उन सिग्नल्स के अमूर्त संकेतों का पता लगाने में सक्षम होता है जो मॉड्यूलेट होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वह संकेत प्राप्त करना होता है जो मूल सिग्नल की ताकत या शक्ति को दर्शाता है।

आवरण संवेदक के इस्तेमाल से विभिन्न प्रकार के संचार और सिग्नल प्रोसेसिंग अनुप्रयोगों में सिग्नल की जटिलता को समझने में मदद मिलती है, और यह बेहतर सिग्नल क्वालिटी और प्रभावी डेटा ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करता है।



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