शील्डिंग (Sheilding)
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में प्रयुक्त किये जाने वाले घटक ( components ) जैसे प्रतिरोध , प्रेरक , संधारित्र , ट्रांजिस्टर तथा कनैक्टिंग वायर ( connecting wires ) इतने समीप होते हैं कि उनमें से किसी में भी प्रवाहित होने वाली धारा के कारण किसी अन्य में अवांछित ( unwanted ) वि ० वा ० बल उत्पन्न होकर परिपथ की अनुक्रिया (performance ) प्रभावित कर सकता है । इस दोष से उपकरण को बचाने के लिए उपकरणों के कुछ अति संवेदनशील ( sensitive ) पार्ट्स की शील्डिंग की जाती है । शील्डिंग की क्रिया में एक धातु की शील्ड उस अवयव अथवा स्थान पर लगा दी जाती है जहाँ यह दोष उत्पन्न होने की सम्भावना है । यह शील्ड ग्राउन्ड कर दी जाती है।
यदि कोई अवांछनीय वोल्टेज जैसे noise voltage अथवा high frequency voltage उत्पन्न होती है तब वह शील्ड में प्रेरित होकर ग्राउन्ड हो जायेगी तथा परिपथ की अनुक्रिया ( performance ) पर इन अनावश्यक वोल्टेज का प्रभाव नहीं होगा । रेडियो , टी ० वी ० सैट में वॉल्यूम कन्ट्रोल , टोन कन्ट्रोल के संयोजन तार , एन्टीना क्वॉयल , ऑसीलेटर क्वॉयल , L.E. Transformers इत्यादि प्रायः एक धातु के आवरण ( metal cover ) द्वारा शील्ड किये जाते हैं जिससे परिपथ की स्ट्रे धारिता ( stray capacitance ) , noise voltage तथा R.F. disturbance का कोई विपरीत प्रभाव न हो।