इलेक्ट्रॉन की खो ( Discovery of Electron )
कैथोड किरणों का अध्ययन ( Study of cathode rays ) —
इन • किरणों का अध्ययन सर्वप्रथम क्रुक्स ( Crookes ) ने सन् 1869 ई ० में किया । जब किसी गैस में कम दाब ( 0.001 मिमी ० ) पर विद्युत का प्रवाहन किया जाता है तो कैथोड ( Cathode ) से एक प्रकार की किरणें निकलती हैं जिन्हें कैथोड किरणें ( Cathode rays ) कहते हैं । ये किरणे कैथोड से लम्ब दिशा में चलती हैं । सन् 1899 ई ० में जे ० जे ० टॉमसन ने इन किरणों का अध्ययन किया ।
कैथोड किरणों के गुण ( Properties of Cathode Rays )
- कैथोड किरणें ऋणात्मक कणों ( इलेक्ट्रॉनों ) की बनी होती हैं ।
- सामान्यता ये किरणें कैथोड से आरम्भ होकर ऐनोड की ओर एक सीधे पथ पर चलती हैं । ये किरणें स्वयं दिखाई नहीं देती परन्तु अपने मार्ग पर रखी हुई अपारदर्शक वस्तुओं की छाया उत्पन्न करती हैं ।
- ये स्थिरवैद्युत ( Electrostatic ) और चुम्बकीय क्षेत्र ( Magnetic field ) में जिस दिशा में मुड़ती है उससे यह सिद्ध होता है कि ये ऋणावेशित कणों की बनी होती हैं ।
- ये अपने पथ में रखी हुई हल्की वस्तुओं को चला सकती है जिससे सिद्ध होता है कि इनमें द्रव्यमान कण ( Material particles ) उपस्थित होते हैं ।
- विद्युत प्रवाहन के लिए कोई भी गैस ली जाए और इलैक्ट्रोड किसी भी द्रव्य के बनाए जाएं . इनके ऋण कणों ( इलेक्ट्रॉन ) के आवेश और द्रव्यमान में कोई अन्तर नहीं पड़ता । इससे यह प्रकट होता है कि ये कण गैस को प्रकृति पर निर्भर नहीं करते तथा सभी परमाणुओं के आवश्यक अंग होते हैं ।
- इलेक्ट्रॉनों पर प्रति कण विद्युत मात्रा ज्ञात मात्राओं में सबसे कम होती है और इसे ऋण विद्युत आवेश की इकाई माना गया है ।
अतः इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं के सार्वत्रिक अवयव ( Universal constituent ) है 1
' इलेक्ट्रॉन , परमाणु में उपस्थित ये कण हैं जिन पर इकाई ऋण विद्युत मात्रा आवेशित होती है '
वाँ भाग होता है । इलेक्ट्रॉनों को खोज ने यह सिद्ध कर दिया कि इनका भार हाइड्रोजन परमाणु के भार का लगभग 1/1837 परमाणु जटिल होते हैं और इनमें सूक्ष्म संरचनात्मक मात्रक उपस्थित होते हैं ।
इलेक्ट्रॉनों के अभिलक्षण ( Characteristics of Electrons )
- इलेक्ट्रॉन परमाणु का सबसे हल्का मौलिक कण है । इसे ' ' से प्रदर्शित करते हैं ।
- यह ऋणावेशित होते हैं । इन पर प्रति कण विद्युत मात्रा , ज्ञात मात्राओं में सबसे कम होती है और इसे ऋण विद्युत आवेश की इकाई माना जाता है । इलेक्ट्रॉन पर 1-602177 × 10-19 कूलॉम ( 4-8030 x 1010 ई ० एस ० यू ० ) विद्युत आवेश होता है ।
- इलेक्ट्रॉन की त्रिज्या बहुत कम अर्थात् 2-8 × 10-13 सेमी होती है ।
- इलेक्ट्रॉन के लिए आवेश ( e ) तथा द्रव्यमान ( m ) का अनुपात एक नियतांक है जो इलैक्ट्रोडों के पदार्थ या नली में उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता । इलेक्ट्रॉन का e/m=1-602177x10-19 / 9.10939x10-28 = 1-7588 x 10 *8कूलॉम / ग्राम होता है जो सार्वत्रिक नियतांक ( Universal constant ) है । टॉमसन ने इसका मान1-759 x 108 कूलॉम / ग्राम निर्धारित किया ।
- सामान्यता तत्वों के रासायनिक गुण इनके परमाणुओं की बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करते हैं ।
- इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान उसकी चाल के साथ बदलता है ।
e/m = 1-759 x 10 *8 कूलॉम / ग्राम ( कम चाल पर )
अतः कम चाल पर इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान ( m ) = e / e//m=1-602x10-19 =e / m 1-759 X10 *= = 9-102x10-28 ग्राम
- इसको इलेक्ट्रॉन का विराम द्रव्यमान ( Rest - mass )कहते हैं अर्थात् यह इलेक्ट्रॉन का वह द्रव्यमान है जो तब होता है जब इसका वेग प्रकाश के वेग से बहुत कम होता है ।