मापन का सिद्धान्त ( Principle of Measurement )
मापी जाने वाली राशि की उसके मात्रक से तुलना करने को ही " मापन " ( measurement ) कहते हैं । अर्थात् किसी राशि के मापन के समय यह देखा जाता है कि चुना गया मानक मापी जाने वाली राशि में कितनी बार शामिल है या मापी जाने वाली राशि चुने गये मानक से कितने गुना बड़ी है अथवा छोटी है यही मापन का सिद्धान्त है ।
किसी राशि को माप को व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित दो आवश्यकतायें ( requirements ) होती - जिसमें वह भौतिक राशि मापी जानी है ।
( 1 ) मात्रक ( Unit ) - जिसमें वह भौतिक राशि मापी जानी है ।
( 2 ) संख्यात्मक मान ( Numerical Value ) – यह मापी जान े वाली भौतिक राशि के " परिमाण " ( Magnitude ) को दर्शाता है अर्थात् यह बताता है कि मापी जाने वाली राशि में चुना गया मात्रक कितनी बार शामिल है । यह एक शुद्ध संख्या ( Pure number ) होता है ।
उदाहरण के लिए यदि किसी दीवार की लम्बाई 8 मोटर है तो इसका अर्थ यह है कि वस्तु ( दीवार ) की लम्बाई मापने का मात्रक मीटर है तथा यह वस्तु ( दीवार ) की लम्बाई में 8 बार शामिल है ।
अत : यदि X कोई भौतिक राशि है जिसका संख्यात्मक मान तथा संगत मात्रक || है , तो
X = nx \ u |
उल्लिखित उदाहरण में यदि लम्बाई का मात्रक सेमी ( सेन्टीमीटर ) हो तो इस तु ( दीवार ) की लम्बाई 800 सेमी होगी । इससे स्पष्ट है कि किसी भौतिक राशि का मात्रक जितना छोटा होता जाता है , इसका संगत संख्यात्मक मान उतना हो बढ़ता जाता है ।
अर्थात् " किसी भौतिक राशि का संख्यात्मक मान उसके मात्रक के व्युत्क्रमानुपाती होता है । '
समीकरण ( 1 ) से nx1/n
अर्थात् " किसी भौतिक राशि का संख्यात्मक मान एवं उसके संगत मात्रक का गुणनफल सदेव नियत रहता है । "
यदि किसी भौतिक राशि X के संख्यात्मक मान दो अलग - अलग मात्रका तथा
X=n1!u1!=n2!u2!
मात्रक के चयन में ध्यान रखने योग्य तथ्य ( Guiding Principles for the Choice of Unit )
किसी भौतिक राशि के मात्रक का चयन करते समय निम्न तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए
( 1 ) चयनित मात्रक को मान्यता अन्तर्राष्ट्रीय स्तर ( International level ) पर होनी चाहिए ।
( 2 ) चयनित मात्रक सरलता से एवं पूर्ण रूप से परिभाषित ( definite and well defined ) होने योग्य एवं उचित आकार ( Proper size ) का होना चाहिए ।
( 3 ) प्रत्येक स्थान पर उसका प्रतिरूप सरलता से बनाया जा सके ( easily reproducible )
( 4 ) समय तथा स्थान के साथ परिवर्तनशील नहीं होना चाहिए ।
( 5 ) चयनित मात्रक पर भौतिक स्थितियों ( ताप , दाब आदि ) के परिवर्तन का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए ।
( 6 ) एक ही प्रकृति के कई मात्रको ( जैसे - समय मापने के लिए सेकण्ड , मिनट , घण्टा आदि ) के मध्य उचित सम्बन्ध ज्ञात होना चाहिए । ( 7 ) चयनित मात्रक सुलभता से उपलब्ध ( casily accessible ) होना चाहिए ।
मात्रकों की विभिन्न पद्धतियाँ ( Different Systems of Units )
भौतिक राशियों के मापन में मूल मात्रकों के आधार पर निम्नलिखित पद्धतियाँ प्रयोग में लायी जाती है
क्र ० सं ०( S. No. ) |
मात्रक पद्धति ( System of unit ) |
लम्बाई का मात्रक ( Unit of length ) |
द्रव्यमान का मात्रक ( Unit of mass ) |
समय का मात्रक ( Unit of time ) समय का मात्रक ( Unit of time ) |
1 |
फुट पाउन्ड सेकण्ड पद्धति (
FPS System ) |
फुट ( foot ) |
पाउण्ड ( pound ) |
सेकण्ड ( second ) |
2 |
सेन्टीमीटर ग्राम सेकण्ड पद्धति( CGS System ) |
सेन्टीमीटर ( centimetre ) |
ग्राम ( gramme ) |
सेकण्ड ( second ) |
3 |
मीटर किलोग्राम सेकण्ड पद्धति ( MKS System ) |
मीटर ( metre ) ( MKS System ) |
किलोग्राम |
सेकण्ड ( second ) |
4 |
अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति ( ( SI System ) |
यह MKS system का ही संशोधित एवं परिवर्धित रूप है जिसका उल्लेख अगले परिच्छेद में है । |